दाग (कविता) प्रतियोगिता हेतु-09-Apr-2024
दिनांक-0 9.0 4.2024 दिवस- मंगलवार प्रदत्त विषय- दाग (कविता) प्रतियोगिताहेतु
वस्त्रों पर के दाग को रगड़ तुरंत मिटाएँ, दामन पर जो लगा दाग हम उसको देख न पाएँ। भैया गज़ब ज़माना आया बेशर्मी है पांँव फैलाया।
घर के कामों में फंँस जाते हैं उससे अकुलाते, दुनिया के दलदल में फंँसकर उससे ना घबराते। भैया गज़ब जमाना आया यह आत्मा को मार गिराया।
मात-पिता की भक्ति करना समझे हैं पिछड़ापन, बगुला भगत बने हम घूमें इज़्ज़त बेचें आपन। भैया गज़ब ज़माना आया शर्मो- हया कहीं दफ़नाया।
धन को यदि हमने खोया तो बिल्कुल टूट हैं जाते, नष्ट कगार चरित्र खड़ा है ना उससे घबराते। भैया गज़ब जमाना आया पथ से सबको भ्रष्ट कराया।
बगुला बैठा ध्यान में करने को झट धोखा, हंस बिचारा उसे निहारे उसकी नज़रें चोखा। भैया गज़ब ज़माना आया बगुला हंस की पदवी पाया।
घर आंँगन में दाग लगा तो चिंता में पड़ जाते। विकृतियों के दाग को ढोएँ ना उससे घबराते। भैया गज़ब ज़माना आया फितुर विजई हो दिखलाया।
चंदा में भी दाग लगा पर सुंदरता ना कम है, देश, समाज पर दाग लगा मर गया अंतर्तम है। भैया गज़ब ज़माना आया कलयुग में दाग विकास को पाया।
साधना शाही, वाराणसी
Mohammed urooj khan
16-Apr-2024 11:15 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Reyaan
11-Apr-2024 06:14 PM
Nice
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Shnaya
11-Apr-2024 04:39 PM
V nice
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